Chapter 14 of Class 7th Hindi, titled "Khaan Paan ki Badalti Tasveer," primarily delves into the evolving eating habits in the country. The chapter under Vasant Class 7 highlights the growing awareness of various fast foods among both children and adults.
The NCERT Solutions For Class - 7 Hindi Vasant पाठ २४ - खानपान की बदलती तस्वीर are tailored to help the students master the concepts that are key to success in their classrooms. The solutions given in the PDF are developed by experts and correlate with the CBSE syllabus of 2023-2024. These solutions provide thorough explanations with a step-by-step approach to solving problems. Students can easily get a hold of the subject and learn the basics with a deeper understanding. Additionally, they can practice better, be confident, and perform well in their examinations with the support of this PDF.
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Students can access the NCERT Solutions For Class - 7 Hindi Vasant पाठ २४ - खानपान की बदलती तस्वीर. Curated by experts according to the CBSE syllabus for 2023–2024, these step-by-step solutions make Hindi much easier to understand and learn for the students. These solutions can be used in practice by students to attain skills in solving problems, reinforce important learning objectives, and be well-prepared for tests.
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर का उदाहरण देकर इसकी व्याख्या कीजिए।
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का आशय हैं की सभी स्थानों के सभी व्यंजनों का आनंद उठाना। इसमें विदेशी व्यंजन, स्वदेशी व्यंजन और प्रांतीय व्यंजनों का समावेश हैं। भोजन में उसके स्वाद और उसकी गुणवत्ता को बनाए रखना मुख्य भाग होता है। पसंद के आधार पर एक दूसरे के प्रांत की चीज़ों को अपने भोजन में शामिल किया जाता है। विश्व में भारत खानपान की दृष्टि से भी विख्यात हैं, क्योंकि यहां अलग - अलग प्रांत कि अपनी विशेषता है।इसका अर्थ है कि हर प्रांत में मुख्य व्यंजन है को केवल उसी प्रांत में मिलते हैं। जैसे - दक्षिण भारत का इडली डोसा, उपमा, सांभर, नारियल की चटनी यह सभी व्यंजन बड़े ही स्वादिष्ट होते हैं। गुजरात के जलेबी - फाफडा, ढोकला वहां के प्रसिद्ध व्यंजन हैं। यह सभी व्यंजन केवल थी खाने को नहीं मिलता बल्कि भारत के हर कोने में मिलते हैं।यदि अपने घरों की बात कि जाए तो वहां देशी, विदेशी और प्रांतीय भोजन बनाया जाता है।
खानपान में बदलाव करने के क्या फायदे होते हैं? तथा लेखक इन्हें लेकर चिंतित क्यों हैं।
खानपान में बदलाव के फायदे निम्नलिखित हैं:
खानपान की मिश्रित संस्कृति से राष्ट्रीय एकता को बढावा मिलता है।
कामकाजी महिलाओं को देशी विदेशी व्यंजनों की विधि का ज्ञान होता है जो जल्दी बनकर त्यार हो जाते हैं।
बच्चे एक ही प्रकार का भोजन करके उब जाते हैं इससे बच्चो को खाने में विकल्प प्राप्त हो जाते हैं।
नई पीढ़ी अब इस संस्कृति को एक व्यवसाय के रूप में ले रहीं हैं। लेखक मिश्रित संस्कृति के बदलावों को लेकर चिंतित भी हैं क्योंकि इस संस्कृति में व्यंजनों को उनके असली स्वाद से वंचित रहना पड़ता है। नई पीढ़ी को स्थानीय व्यंजनों के बारे में पूरी जानकारी नहीं मिल पाती।
खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ होता है?
खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ होता है कि किसी विशेष व्यंजन का किसी शहर में मिलना। उदाहरण के तौर पर मुंबई का वड़ापाव, पाव भाजी गुजरात का ढोकला दिल्ली के छोले भटुरे आगरा का पेठा आदि सभी स्थानीय व्यंजन होते हैं।
घर में बातचीत करकेप्ता कीजिए कि आपके घर में क्या चीज़े पकती है और कौन - कौन से चीज़े बाहर से लाई जाती हैं।? इनमें कौन - सी चीज़े हैं जो अब बाहर से लाई जाती हैं पर आपके माता - पिताजी के समय में वह घर में ही बनाई जाती थी?
घर में बनने वाली चीज़े - दाल, रोटी, चावल, करेले की सब्जी, बैगन की सब्जी, समोसे, पकोड़े।
बाहर से आने वाली चीज़े - मिठाइयां, रबड़ी, आइस-क्रीम, पिज़्ज़ा, बर्गर आदि।
इन सब में पहले मिठाइयां और रबड़ी घर में बनाई जाती थी।
यहां खाने पकाने और स्वाद से सम्बन्धित कुछ शब्द दिए गए हैं उन्हें डायन से देखिए और उनका वर्गीकरण कीजिए।
उबालना, तलना, सेकना, भूनना, दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला।
भोजन कैसे पकाया स्वाद
भोजन |
कैसे पकाया |
स्वाद |
दाल |
उबालना |
मीठा/ तीखा |
भात |
उबालना |
नमकीन/मीठा |
रोटी |
सेकना |
नमकीन |
पापड़ |
तलना/सेकना |
नमकीन |
आलू |
भूनना |
तीखा/ नमकीन |
बैगन |
भूनना |
कसैला |
छौंक, चावल, कड़ी।
इन शब्दों में क्या अंतर हैं? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग अलग हैं।पता करे की आपके प्रांत में इन्हे कैसे बनाया जाता है?
छौंक: कड़ाई में घी गरम करके जीरा, राई, कड़ी पत्ता आदि मसले डालकर छौंक तैयार किया जाता है। कभी कभी छौंक में लहसुन और टमाटर भी डाले जाते है। विभिन्न प्रांतों में छौंक बनाने का तरीका अलग होता है।
चावल: चावल पानी में उबालकर बनाया जाता है। चावल भी विभिन्न प्रकार के होते हैं - सादे चावल और बासमती चावल। चावल बनाने के तरीका भी भिन्न - भिन्न होते हैं। सब्जियां मिलाकर बनाने से पुलाव बनता है, दाल मिलाकर बनाने से खिचड़ी बनती हैं। बासमती चावल से बिरयानी बनाई जाती हैं और दूध मिलाकर बनाने से खीर बनती हैं।
पिछली शताब्दी में खानपान कि बदलती तस्वीर का खाका खीचे तो इस प्रकार होगा।
सन् साथ का दशक - छोले - भटुरे ।
सन् सत्तर का दशक - इडली, डोसा
सन् अस्सी का दशक - तिब्बती(चीनी) भोजन
सन् नब्बे का दशक - पिज़्ज़ा, पाव - भाजी
इसी प्रकार आप कुछ बदलती पोशाकों या कपड़ों का खाका खीचिए।
सन् साठ का दशक - कुर्ता- पायजामा, धोती, साड़ी, लहंगा-चोली।
सन् स्त्तर का दशक - पेंट - शर्ट, कुर्ता - सलवार, साड़ी
सन् अस्सी का दशक - स्कर्ट, चूड़ीदार - पायजामा, जीन्स - टॉप, टीशर्ट
मान लीजिए आपके घर मेहमान आ रहे हैं और वह आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए आप अपने घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन सूची (मेन्यू) बनाईए।
प्रस्तुत निबन्ध में खानपान कि बदलती तस्वीर दिखाई गई है, जिसके अनुसार प्रांत कोई भी हो मेहमान के आने पर तो खाना नए जमाने के अनुसार ही बनता है। मान लीजिए महमं पंजाबी खाना चाहते हैं तो उसके अनुसार हमारा मेन्यू निम्न होगा:
सबसे पहले तो मेहमानों को स्वागत पेय ( वेलकम ड्रिंक ) दिया जाता है।उसमें हम लस्सी प्रस्तुत करेंगे ।
इसके बाद शुरुवाती व्यंजन अर्थात स्टार्टर में हम उन्हें समोसे, कचोरी,आदि परोस सकते हैं
इसके बाद मुख्य भोजन अर्थात मेन कोर्स में छोले भटुरे, राजमा चावल परोसेंगे।
' फास्ट फूड ' अर्थात् तुरंत भोजन के नफे - नुकसान पर कक्षा में वाद - विवाद कीजिए।
'फास्ट फूड' अर्थात तुरंत भोजन के फायदे नुकसान दोनो हैं।
फायदे - पहले हम फायदे के बारे में बात करेंगे। आज कल की भाग दौड़ वाली ज़िंदगी में फास्ट फूड का चलन बढ़ गया है क्योंकि फास्ट फूड जैसे - मैगी, पास्ता,नूडल्स आदि जल्दी बन जाते हैं। पहले के समय में स्त्रियां घर से बाहर काम करने नहीं जाया करती थी तथा वह घर का सारा काम स्वंय करती थी और खाना बनाने पर विशेष ध्यान देती थी।समय की कोई पाबन्दी नहीं हुआ करती थी, आजकल स्त्रियां भी बाहर काम करने जाती हैं तो ऐसे में कुछ भी झ्ट पट फास्ट फूड बना देती है। दूसरा कारण बच्चों की पसंद आजकल के बच्चे मेथी के पराठे,कुट्टू आदि सब्जियां नहीं खाते इसलिए मताए उन्हें मैगी बनाकर देती हैं।
नुकसान - फास्ट फूड को खाने से उसके फायदे से ज्यादा उसके नुकसान हैं। फास्ट फूड सेहत का सबसे बड़ा शत्रु हैं।जिसे अपनी सेहत बेकार करनी हैं वोह फास्ट फूड खाए।फास्ट फूड जल्दी पचता नहीं जिससे पेट सम्बन्धित बीमारियां हो जाती है। फास्ट फूड में जो मसले डाले जाते हैं वह संक्रमण करते हैं।
हर शहर, कस्बे में कुछ ऐसे स्थान अवश्य होते हैं जो अपने मुख्य व्यंजन के लिए जानी जाती हैं आप अपने कस्बे, शहर का चित्र बनाकर उनमें सभी स्थानों को दर्शाए।
मुंबई - वड़ा - पाव, पाव-भाजी (फूड स्ट्रीट)
दिल्ली - छोलेभटूरे, आलू पराठा, दही-भल्ले (चांदनी चौक - पराठा गली)
कोलकाता - संदेश, रसगुल्ला, बंगाली मिठाई
पंजाब - छोलेभटूरे, राजमा चावल, आलू का पराठा, गोबी का पराठा (अमृतसर)
खान पान के मामले में शुद्धता का मसला काफी पुराना है। हमने अपने अनुभवी से इस मिलावट को देखा हैं। किसी फिल्म य अखबार की खबर से खान पान में होने वाली मिलावट से होने वाले नुकसान कि चर्चा कीजिए।
आजकल क दौर में खानपान में मिलावट एक आम बात हो गई है। शुद्धता की भी चीज में नहीं रही चाहे मसालों की बात हो या घी की। यहां तक कि आजकल सब्जियां भी शुद्ध नहीं मिल रही।समय से पहले सब्जियां और फलों को तोड लिया जाता है।उन्हें अप्राकृतिक तरीके से इंजेकशन देकर पकाया जाता हैं। लाल मिर्च के पाउडर में, इट पीसकर मिलाई जाती हैं। दूध की मिलावट के विषय में तो पूछिए मत दूध में पानी नहीं, पानी में दूध मिलाया जाता है। सफेद रंग को पानी में मिलाकर दूध बनाया जाता हैं। चावल, दाल में प्लास्टिक मिलाया जाता है। अब इन मिलावटी चीजो से सेहत कैसे बनेगी, सबकी सेहत बिगड़ ही चुकी हैं। आजकल जो बीमारियां हों रही हैं, वह बीमारियां आज से पहले किसी ने सुनी भी नहीं थी। यह सब खानपान कि वजह से हैं। गए या एसिडिटी तो हर घर की समस्या बन गई हैं। मोटापा, दिल की बीमारी, मधुमेह आदि सब मिलावटी खाना खाने से होती हैं।
खानपान शब्द,खान पान दो शब्दो से मिलकर बना है। खान पान शब्द में और छुपा हुआ हैं। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छीपे होते हैं, उन्हें द्वंद समास कहते हैं।नीचे द्वंद समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझाइए।
सीना - पिरोना
चलना - फिरना
लंबा - चौड़ा
कहा - सुनी
घास - फूस
सीना - पिरोना- पहले के समय में स्त्रियां घर में ही सीना पिरोना का कार्य किया करती थी।
भला - बुरा - हमें अपने पड़ोसियों को भला बुरा नहीं बोलना चाहिए।
चलना - फिरना - एक हफ़्ते अस्प्ताल में रहने के बाद गुप्ता जी चलने फिरने लगे।
लंबा - चौड़ा - पहलवान लंबे चौड़े होते हैं।
कहा - सुनी - कभी कभी दो मित्रो में छोटी बातो को लेकर कहा सुनी हो जाती हैं।
कई बार एक शब्द सुनने या पड़ने पर और शब्द भी याद आ जाते हैं। आइए इससे शब्दो की कड़ी बनाए।नीचे शुरुवात कि गई हैं। उससे आप आगे बढाइए।कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि में भी इसे दिया जा सकता। इडली - दक्षिण - केरल - ओणम - त्योहार - छुट्टी - आराम।
छुट्टी - आराम - टीवी - क्रिक्रेट।