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NCERT Solutions for Class 8 Hindi वसंत Chapter 23 - भगवान के डाकिये

CBSE students aiming for academic excellence in Hindi have a valuable resource at their disposal—NCERT Solution for Class 8 Hindi Vasant Chapter 23. This carefully curated guide provides a comprehensive understanding of the subject matter, aiding students in their exam preparation. By following the NCERT solutions, learners can not only delve into the intricacies of the language but also enhance their scoring potential in examinations. The structured approach of these solutions ensures that students receive proper guidance, making the study of Hindi both engaging and rewarding.

भगवान के डाकिये

Question 1 :

कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिये क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिये।

 

Answer :

कवि ने इस कविता में पक्षी और बादल को भगवान के डाकिये के रूप में प्रदर्शित किया है क्योंकि जिस  तरह डाकिया एक मानव का सन्देश दूसरे तक पहुंचा कर अपने संदेशवाहक होने का कर्तव्य पूरा करता है उसी तरह पक्षी और बादल भी भगवान और प्रकृति के मानवता एवं आपसी सौहार्द्र के सन्देश को सम्पूर्ण विश्व में पहुँचाने का प्रयत्न करते है, यह अलग बात है की यह सन्देश हम कई बार भले ही नहीं समझ पाते किन्तु वह अपना संदेशवाहक होने का दायित्व निभाने का भरसक प्रयास करते है। 

 


Question 2 :

पक्षी और बादल के द्वारा लायी  गई  चिट्ठियों को कौन कौन पढ़ पाते  है ? सोच कर लिखिए।

Answer :

 यह पेड़-पौधे , पहाड़ और पानी है जो की पक्षी और बादल के द्वारा लायी गयी चिट्ठियों को पढ़ पाते है।


Question 3 :

 किन पंक्तियों का भाव है :

(क)  पक्षी और बदल प्रेम,सद्भाव और  एकता का सन्देश एक देश से दूसरे देश को भेजते है 

(ख)  प्रकृति देश -देश में भेद-भाव  नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।

 

 

Answer :

(क)  पक्षी और बादल,

ये भगवान के डाकिये है ,

जो एक महादेश से 

दूसरे महादेश को जाते है। 

हम तो समझ नहीं पाते है 

मगर उनकी लायी चिट्ठियां 

पेड़ पौधे , पानी और पहाड़ बाँचते है।

(ख)  और एक देश का भाफ़ दूसरे देश में पानी 

बनकर गिरता है।  

 


Question 4 :

पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़ -पौधे , पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते है?

 

Answer :

पक्षी और बादल की  चिट्ठियों में  पेड़ -पौधे , पानी और पहाड़ भगवान द्वारा भेजे गए प्रेम , एकता एवं सद्भाव के सन्देश को पढ़ पाते है। इसी सन्देश को पढ़ कर नदियाँ एक रूप से बिना भेद भाव के सबको पानी बाँटती है। पहाड़ समान रूप में सबके साथ खड़ा होता है।

 


Question 5 :

" एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है। " - कथन का भाव स्पष्ट कीजिये।

 

Answer :

 एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है - कवि के इस कथन से यह भाव स्पष्ट होता है की एक देश से निकली हुई प्रेम और सद्भाव के सुगंध से  भरी हुई हवा दूसरे देश में भी वही प्रेम और सद्भाव के सन्देश को सुगंध के रूप में बिखेरने का प्रयत्न करती है।


Question 6 :

पक्षियों और बादलों के चिट्ठियों के आदान -प्रदान को  आप किस दृष्टि से देख सकते है ?

 

Answer :

पक्षियों और बादलों के चिट्ठियों के आदान - प्रदान को सामाजिक सौहार्द्र और प्रेम से भरे संदेशों के विनिमय एवं सद्भाव के प्रसारण में सहायक के रूप में देख सकते हैं।

 


Question 7 :

आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट। पक्षी और बादल  की चिट्ठियों  की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।

 

Answer :

 पक्षी और बादल प्रकृति के नियमों के अनुसार काम करते हैं किंतु इंटरनेट मनुष्य का अविष्कार है जो की मनुष्य के अनुसार काम करते है। बादल  का कार्य प्रकृति प्रेमी को प्रभावित करता  है। पक्षी और बादल का कार्य धीमी गति से होता है किंतु इंटरनेट बहुत ही द्रुत गति से  कार्यरत होता है।इंटरनेट एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बात पहुंचाने का ही सरल तथा तेज माध्यम है। इसके द्वारा हम किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत रायों को जान सकते हैं किन्तु पक्षी और बादल  की चिट्ठियाँ हमें बिना भेदभाव के सारी दुनिया में प्रेम और एकता का संदेश देते हैं। हमें भी इंटरनेट के प्रेम और एकता और भाईचारा का संदेश में फैलाना चाहिए।

 


Question 8 :

हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका क्या है? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।

 

Answer :

डाकिया भारतीय सामाजिक जीवन की एक आधारभूत कड़ी है। डाकिये का बेसब्री से इंतज़ार ,उसके द्वारा लाये गए पत्रों में मानवीय संवेदनाओं का संवर्धन करता है  । उसके महत्व से  परिचित सभी तबके के लोग है। हमारे समाज में डाकिए की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। भले ही अब कंप्यूटर और इ-मेल का जमाना आ गया है पर डाकिया का महत्त्व अभी भी उतना ही बना हुआ है जितना पहले था। आज के आधुनिक युग में संचार के कई साधन आ गए है जिनसे पत्रों का व्यवहार कम हुआ है। डाकिये के वर्तमान कार्यशैली में भी बदलाव आये है। तकनिकी संचार के इस आधुनिक युग में भी डाकिये के महत्व को लेकिन कमतर नहीं आँका जा सकता। डाकिया आज भी भारतीय समाज में उतना ही प्रासंगिक है जितना की कल था। 

 


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