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गौरैया की टोपी पर दर्जी ने पांच फुँदने क्यों जड़ दिए?
गौरैया ने दरजी को वाजिब मजदूरी दी थी जिससे खुश होके दर्जी ने उसकी टोपी पर पांच फुँदने जड़ दिए थे।
गौरैया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है, तर्क सहित लिखिए।
सफलता के लिए उत्साह अति आवश्यक है क्योंकि उत्साह ही व्यक्ति को काम करने के लिए प्रेरित करता है तथा उसमे ऊर्जा भरता है। उत्साह के बिना काम नीरस हो जाता है जिससे व्यक्ति में उसे पूरा करने की इच्छा खत्म हो जाती है और सफलता मिलना मुश्किल हो जाता है।
यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते, तब गौरैया के साथ उन कारीगरों का व्यावहार कैसा होता?
यदि सभी कारीगर अपने अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब भी उनका व्यवहार गौरैया के प्रति समान्य ही होता। परंतु पहले वह राजा का काम करते फिर गौरैया का।
चारों कारीगर राजा के लिए काम कर रहे थे। एक रज़ाई बना रहा था। दूसरा अचकन के लिए सूत कात रहा था। तीसरा बागा बुन रहा था। चौथा राजा की सातवीं रानी की दसवीं संतान के लिए झब्बे सिल रहा था। उन चारों ने राजा का काम रोककर गौरैया का काम क्यों किया?
उन चारों ने राजा का काम रोक कर गौरैया का काम इसलिए किया क्योंकि गौरैया उन्हें उनकी मेहनत की कीमत चुका रही थी जबकि राजा उनसे मुफ़्त में काम करवा रहा था।
गौरैया और गौरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गौरैया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?
गौरैया और गौरा के बीच मनुष्यों के कपड़े पहनने पर बहस हुई थी। गौरैया को आदमी द्वारा पहने जाने वाले रंग बिरंगे वस्त्र पसंद थे और वह उसके पक्ष में थी। परंतु गौरा के अनुसार मनुष्य बिना वस्त्रों के ही अच्छा लगता है, वस्त्र उसकी खूबसूरती को छिपा देते हैं। गौरैया को अपनी इच्छा यानी टोपी पहनने की इच्छा को पूरी करने का अवसर एक दिन घूरे चुगते हुए मिला जब उसे दाना चुगते हुए एक रुई का फाहा मिला जिससे उसने अपनी टोपी बनवाई।
टोपी बनवाने के लिए गौरैया किस किस के पास गयी? टोपी बनने तक के एक एक कार्य को लिखें।
टोपी बनवाने के लिए गौरैया कुल चार लोगों के पास गयी - धुनिया, कोरी, बुनकर और दर्जी। पहले उसने धुनिया के पास जाकर रुई धुनाई, फिर कोरी के पास जाकर उसे कतवाया, उस सूत को वह बुनकर के पास लेकर गयी जहां उससे कपड़ा बनवाया और अंत में उस कपड़े को लेकर वह दर्जी के पास गयी जहां दर्जी ने उस कपड़े से गौरैया के लिए टोपी सिल दी तथा उस पर पांच फुंदने भी लगा दिए जिससे उसकी सुंदरता और भी बढ़ गयी।
टोपी पहनकर गौरैया राजा को दिखाने क्यों पहुंची जबकि उसकी बहस गौरा से हुई है और वह गौरा के मुँह से अपनी बड़ाई सुन चुकी थी। लेकिन राजा से उसकी कोई बहस हुई ही नहीं थी। फिर भी वह राजा को चुनौती देने पहुंची। कारण का अनुमान लगाइए।
गौरैया टोपी पहनकर राजा को दिखाने इसलिए पहुंची क्यूंकि गौरा ने कहा था कि टोपी बस राजा पहनता है तो वह राजा को दिखाने पहुँच गयी तथा वह अपने आप को टोपी पहनकर राजा समझने लग गयी थी इसलिए वह उसे राजा को दिखाना चाहती थी कि लोगों से काम हमेशा मेहनताना देकर करवाना चाहिए ना कि मुफ्त में।
गाँव की बोली में कई शब्दों का उच्चारण अलग होता है। उनकी वर्तनी भी बदल जाती है। जैसे गौरैया, गौरैया का ग्रामीण उच्चारण है। उच्चारण के अनुसार इस शब्द की वर्तनी लिखी गयी है। फुँदना, फुलगेंदा का बदला हुआ रूप है।
कहानी में अनेक शब्द हैं जो ग्रामीण उच्चारण में लिखे गए हैं, जैस - मुलुक- मुल्क, खमा- क्षमा, मजूरी- मज़दूरी, मल्लार- मलाल इत्यादि। आप क्षेत्रीय या गाँव की बोली में उपयोग होने वाले कुछ ऐसे शब्दों को खोजें और उनका मूल रूप लिखिए
क्षेत्रीय भाषा |
मूल भाषा |
लईकी |
लड़की |
गुद्दी |
गरदन |
कोनी |
नहीं |
तरकारी |
सब्जी |
मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरशः अर्थ नहीं ब्लकि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं, जैसे - कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।
टोपी उछालना - बेइज्जती करना
टोपी से ढक लेना - इज्जत ढक लेना
टोपी कसकर पकड़ना - सम्मान बचाना
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