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कविता में सबसे छोटी होने की कल्पना क्यों की गई है?
कविता में कवि अपनी माँ के गोद में सोना चाहती हैं। वह चाहती हैं कि वह अपनी माँ के आंचल को पकड़ कर उनके साथ घूमें। इसलिए कविता में कवि ने सबसे छोटी होने की कल्पना की है। छोटी होने के कारण उसे यह सब मिल पाता।
कविता में “ऐसी बड़ी ना होउं मै”, क्यों कहा गया है? क्या तुम भी हमेशा छोटे रहना पसंद करोगे?
बड़े होने पर, माँ हमेशा साथ नहीं रहती। वे हमें अपने हाथों से खाना नहीं खिलाती, हमारे हाथ नहीं पोछती, हमारे साथ खेलती नहीं, रात को हमें परियों की कहानियां सुनाकर सुलाती नहीं। इसलिए कविता में कहा गया है “ऐसी बड़ी ना होउं मैं”। कवि ने देखा है कि बड़े होने पर उनकी माँ ज्यादा उनके साथ नहीं रहती। यही बात कवि को अच्छी नहीं लगी। इसलिए उन्होंने उपरोक्त कथन कहा है। जी हाँ, मैं भी हमेशा छोटे रहना पसंद करूंगी।
आशय स्पष्ट करें।
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे, साथ नहीं फिरती दिन रात!
“हाथ पकड़ फिर सदा हमारे, साथ नहीं फिरती दिन रात!” इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि बड़े होने के बाद माँ हमारे साथ हमेशा नहीं रहती। कवि चाहते हैं कि उनकी माँ उनके हाथ पकड़ कर दिन रात उनके साथ रहे। परंतु अब कवि बड़ी हो चुकी है और उनकी माँ हमेशा उनके साथ नहीं रह पाती।
अपने छुटपन में बच्चे अपनी माँ के बहुत करीब होते हैं। इस कविता में नजदीकी की कौन-कौन सी स्थितियां बताई गई है?
कवि ने कविता में उल्लेख किया है कि बचपन में माँ हमेशा बच्चों के ही साथ रहती है। माँ, बच्चों को अपने हाथों से खिलाती है, उनके हाथ साफ करती है, उन्हें नहलाती है, उनके साथ खेलती हैं तथा रात में उन्हें कहानियां सुनाकर सुलाती है। इन्हीं सब चीजों से हमें पता चलता है कि छुटपन में बच्चे अपनी माँ से कितने करीब होते हैं।
तुम्हारी माँ तुम लोगों के लिए क्या क्या काम करती हैं?
हमारी माँ, हमारे लिए, खाना बनाती है, हमारे कपड़े धोती, हमें विद्यालय से लाती है, हमारे पढ़ाई में हमारी मदद करती है, हमें अपने हाथों से खाना खिलाती हैं और अनेक प्रकार के काम करती है।
यह क्यों कहा गया है कि बड़ा बनाकर माँ बच्चे को छलती है?
बड़े होने पर माँ हमेशा बच्चों के साथ नहीं रहती है। माँ, बच्चों को अपने हाथों से नहीं खिलाती, उनके हाथ साफ नहीं करती, उन्हें नहलाती नहीं है, पढ़ाई में उनकी मदद नहीं करती, रात्रि में उन्हें कहानियां नहीं सुनाती। इसीलिए कवि ने कहा है कि बड़ा बनाकर मां बच्चे को छलती हैं ।
उन क्रियाओं को गिनाओ, जो इस कविता में माँ अपनी छोटी बच्ची या बच्चे के लिए करती है?
क्रियाएं, जो एक माँ अपने बच्चों के लिए करती है, निम्नलिखित है।
गोद में सुलाना
खाना खिलाना
तैयार करना
कहानी सुनाना
खेलना।
इस कविता के अंत में कवि माँ से चंद्रोदय दिखा देने की बात क्यों कर रहा है? चाँद के उदित होने की कल्पना करो और कक्षा में बताओ।
इस कविता के अंत में कभी माँ से चंद्रोदय दिखा देने की बात इसलिए कर रहा है क्योंकि बच्चों को चंद्रोदय देखना बहुत अच्छा लगता है। चंद्रोदय होते समय मौसम बहुत ही सुहावना हो जाता है और चाँद का प्रकाश पूरे आकाश में चाँदनी फैलाता है ।
इस कविता को पढ़ने के बाद एक बच्ची और उसकी माँ का चित्र तुम्हारे मन मे उभरता है । वह बच्ची और क्या क्या कहती होगी? क्या-क्या करती होगी? कल्पना करके एक कहानी बनाओ।
वह बच्ची पूरे दिन अपनी माँ के साथ रहती होगी। सुबह होते ही वह अपनी माँ को अपने सपने के बारे में बताती होगी। फिर वह अपनी माँ से हर काम में मदद लेती होगी। वह बच्ची हर रोज अपनी मां को अपनी कोई नई ख्वाहिश बताती होगी। वह अपनी माँ से घर गृहस्ती के अनेक सवाल पूछती होगी।
माँ की 1 दिन कैसे गुजरती है? कुछ मौकों पर उसकी दिनचर्या बदल जाती है, जैसे- मेहमानों के आ जाने पर, घर में किसी के बीमार हो जाने पर, त्योहारों पर। इन अवसरों पर माँ की दिनचर्या कैसे बदलती है? सोचो और लिखो।
माँ पूरे दिन कुछ ना कुछ करते रहती है। वह घर में सबसे पहले उठकर सबको जगाती है। फिर बच्चों को उठाकर उन्हें विद्यालय के लिए तैयार करती है। वह सब के लिए नाश्ता बनाती है और सबको नाश्ता खिलाती है। उसके बाद कपड़े धोती है। उसे दिन का खाना भी बनाना होता है। बच्चे स्कूल से आते हैं तो बच्चों को और घर के अन्य सदस्यों को खाना खिलाती है। शाम में बच्चों के साथ खेलती है और उन्हें पढ़ाती भी है। रात्रि का भी भोजन बनाती है और फिर सभी को भोजन कराती है। यदि कोई त्यौहार या घर में मेहमान आ जाए तो माँ और भी व्यस्त हो जाती है। मेहमान आते तो मेहमानों की खातिरदारी में वह दिनभर लग जाती है। कोई त्यौहार हो तो त्यौहार की साफ-सफाई और तैयारी में भी और अधिक व्यस्त हो जाती है।
नीचे दिए गए शब्दों में अंतर बताओ, उन में क्या फर्क है।
स्नेह- प्रेम शांति – सन्नाटा
ग्रह – गृह निधन - निर्धन
धूल- राख समान- सामान
स्नेह- छोटों के लिए प्यार
प्रेम- छोटे बड़े सभी के लिए प्यार
शांति- कोई हलचल ना होना
सन्नाटा- वातावरण में चुप्पी होना
ग्रह – नक्षत्र
गृह- घर
निधन- मृत्यु
निर्धन- गरीब
धूल- मिट्टी
राख - लकड़ी जलने के बाद का पदार्थ
समान- बराबर
सामान- समग्री
कविता में “दिन-रात” शब्द आया है। दिन शब्द रात शब्द का विलोम है। तुम ऐसे 4 शब्दों के जोड़े को सोचकर लिखो जो विलोम शब्द से मिलकर बने हो। जोड़े के अर्थ को समझने के लिए वाक्य बनाओ।
मोटा – पतला:
राम और श्याम मोटू-पतलू की जोड़ी है।
अपना- पराया :
हमें अपने - पराए में भेदभाव नहीं करना चाहिए।
फायदा – नुकसान
व्यापार में फायदा- नुकसान तो होते ही रहता है।
कक्षा के बच्चों को उनकी मर्जी से दो समूहों में रखे।
क:- एक समूह में वे जो छोटे बने रहना चाहते हैं।
ख:- दूसरे समूह में वे जो बड़े होना चाहते हैं।
इन दोनों समूह के सभी बच्चे एक एक करके बताएंगे कि वह छोटा या बड़ा क्यों बने रहना चाहते है?
क:- क समूह के बच्चे हमेशा अपनी माँ का आंचल पकड़ कर उनके साथ रहना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी माँ हमेशा उनके साथ रहे और उनके कामों में उनकी मदद करें। इसलिए वे छोटे बने रहना चाहते हैं।
ख समूह के बच्चे अपनी जिम्मेदारियों का वहन करना चाहते हैं और समाज में अपना योगदान देना चाहते हैं। इसलिए वे बड़ा होना चाहते हैं।
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