निस्संदेह आज के युग एक प्रगति युग है, लेकिन यह प्रगति हमारी सबसे बड़ी समस्या का कारण भी है, हम इस प्रगति के लिए प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं। प्रदूषण एक विकट समस्या है, जो आयदिन बड़ती जा रही है। जल, भूमि और आकाश सभी पूरी तरह से प्रदूषण के प्रभाव से प्रभावित है, मानवीय जानता है कि जल मनुष्य का जीवन है। इसके बावजूद मनुष्य ने इस अमूल्य जल संसाधन को भी प्रदुषित किया है सदियों से जिन नदियों का पानी जल का एक बड़ा और मुख्य स्रोत रहा है जो केवल मनुष्य के लिए ही नहीं बल्कि सभी प्राणियों के जीवन प्रणाली से जुड़ा है। लेकिन आज कल कारखानों का जहरीला पदार्थ और शहरों का गंदा पानी नदियों में बहा दिया जाता है। निरंतर प्रक्रिया नदियों के पानी को इतना प्रदुषित और विषाक्त बना दिया है कि यह न केवल पीने योग्य नहीं है, बल्कि इससे भयानक बीमारियां भी होने लगी है, यहाँ तक कि इसमें रहने वाले जानवर भी विलुप्त होने के कगार पर है। सरकार और कई सामाजिक संगठन समय समय पर इसे बचाने की कोशीश करते रहते हैं, लेकिन जब तक आम लोग सचेत नहीं होंगे, जब तक हर व्यक्ति पानी के मूल्य को समझना शुरू नहीं करेगा, तब वो दिन दूर नहीं जब यह नदियां नालों का रूप ले लेगी। शहर के किनारे बहने वाली कई नदियों को हमने नाला बना दिया है और यमुना नदी इसका मुख्य उदाहरण है हमें जागरूक होकर नदियों को नदी ही बने रहने देना होगा वरना हम दिन प्रतिदिन जल की समस्याओं और बीमारियों के जाल में फंसते जाएंगे।