अप्पू को अपनी कल्पना में कंचो का जार आसमान की तरह दिखता है। वह अपनी कल्पना में इतना मंत्रमुक्त हो जाता है कि उसे अपने आस पास क्या हो रहा है इसका भी ज्ञान नहीं रह जाता, उसे तो बस कंचो और खुद का ही ध्यान रहता है। इसी कारण जब मास्टर जी कक्षा में रेलगाड़ी के बारे में बता रहे होते हैं तो उसका ध्यान कंचो पर होने की वजह से वह मास्टर जी की बाते नहीं सुनता और उसे मास्टर जी की दांट खानी पड़ती है।









