लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
१) उनमें खूबसूरती, नज़ाकत, गैर-दुनियादारी के साथ ईमानदारी और निष्पक्षता कुछ इस तरह घुली-मिली थी कि वे परीजात से कम जादुई नहीं मालूम पड़ती थीं।
२) वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं।
३) वे एक की गोपनीय बात को दूसरे पर ज़ाहिर नहीं होने देती थीं।
४) वे सामान्य भारतीय माँ से बेहद अलग थीं। उन्होंने कभी अपने बच्चों को लाड नहीं किया, न उनके लिए खाना पकाया और न अच्छी पत्नी-बहू होने की सीख दी।
५) वे किताबें पढ़ने, साहित्य-चर्चा व संगीत सुनने की शौकीन थीं।
६) हर ठोस और हवाई काम के लिए उनकी ज़बानी राय ज़रूर माँगी जाती थी और पत्थर की लकीर की तरह निभाई भी जाती थी।
७) उनमें आज़ादी का जुनून कम था पर वह भरपूर था और अपने तरीके से वे उसे भरपूर निभाती रही थीं। ज़ाहिर है कि जब जुनून आज़ादी का हो तो, उसे निभाना भी आज़ादी से चाहिए जिस-तिस से पूछकर, उसके तरीके से नहीं, खुद अपने तरीके से|
ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर : लेखिका की दादी के घर का माहौल सामान्य घर के माहौल से बेहद अलग व प्रभावी था। संयुक्त परिवार होने के बावजूद भी हर व्यक्ति को अपना निजत्व बनाए रखने की छूट थी। घर में बेटे व बेटी, दोनों को हो समान अधिकार प्राप्त थे। इतना ही नहीं लेखिका की परदादी ने मंदिर में जाकर मन्नत माँगी थी कि उनकी पतोहू का पहला बच्चा लड़की हो, यह घर के माहौल व उसमें रहने वाले लोगों की स्वतंत्र सोच का ही परिचायक है। लेखिका की माँ किसी प्रचारित पत्नी, बहु या माँ के कर्तव्य का पालन नहीं करती थी फिर भी उनके परंपरागत दादा-दादी या उनकी ससुराल के अन्य सदस्य उनकी माँ को न नाम धरते थे, न उनसे आम औरत की तरह होने की अपेक्षा रखते थे अपितु उनकी माँ में सबकी बहुत श्रद्धा थी।