पुरे टिहरी शहर में सिर्फ वही एक थी जो सबको माटी पहुंचाती थी , उसका कोई भी प्रतिद्वंदी नहीं था। उसका कंटर भी अलग तरह का ही था कपड़ों से लिप्त बिना ढक्क्न का ऊपर से खुला जो की उसे दूर से ही पहचानने योग्य बना देता था। साथ ही माटीवाली एक हँसमुख स्वभाव वाली महिला थी एवं माटीवाली की लाल मिट्टी हर घर की आवश्यकता थी,जिससे चूल्हे-चौके की पुताई की जाती थी। इसके बिना किसी का काम नहीं चलता था। इस कारण स्वाभाविक रूप से सभी लोग उसे जानते थे।