1.अतिथि लेखक के घर चार दिनों से अधिक समय तक रहता है।
2.कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही थी।
3..पति ने स्नेह से भीगी मुस्कान के साथ गले मिलकर और पत्नी ने आदर से नमस्ते करके उनका स्वागत किया।
4. दोपहर के भोजन को लंच की तरह शानदार बनाकर लंच की गरिमा प्रदान की गई।
5.तीसरे दिन अतिथि ने कपड़े धुलवाने हैं कहकर धोबी के बारे में पूछा।
6.सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लंच डिनर की जगह खिचड़ी बनने लगी। खाने में सादगी आ गई और अब भी अतिथि नहीं जाता तो उपवास तक रखना पड़ सकता था। ठहाकों के गुब्बारों की जगह एक चुप्पी हो गई। सौहार्द अब धीरे-धीरे बोरियत में बदलने लगा ।