पाठ मेंऐसेकई प्रसांग आए हैंवजन्ोांनेमेरेवदल को छूवलए –
1. रामायण पाठ कर रहेअपनेवपता के पास बैठा हुआ भोलानाथ का आईनेमेंअपनेको देखकर खुर्श होना और जब उसके वपताजी उसेदेखतेहैंतो लजाकर उसका आईना रख देनेकी अदा बडी यारी लगती है।
2. बच्चेका अपनेवपता के साथ कु श्ती लडना। वर्शवथल होकर बच्चेके बल को बढािा देना और पछाड खा कर वगर जाना। बच्चेका अपनेवपता की मूांछ खी ांचना और वपता का इसमेंप्रसन्न होना बडा ही आनिमयी प्रसांग है।
3. बच्चोांद्वारा बारात का स्वाांग रचतेहुए समिी का बकरेपर सिार होना। दुल्हन को वलिा लाना ि वपता द्वारा दुल्हन का घूाँघट उठानेनेपर सब बच्चोांका भाग जाना, बच्चोांके खेल में समाज के प्रवत उनका रूझान झलकता हैतो दू सरी और उनकी नाटकीयता, स्वाांग उनका बचपना।
4. कहानी के अन्त मेंभोलानाथ का मााँके आाँचल मेंवछपना, वससकना, मााँकी वचांता, हल्दी लगाना, बाबूजी के बुलानेपर भी मन की गोद न छोडना ममतस्पर्शी दृश्य उपन्दस्थत करता है; अनायास मााँकी याद वदला देता है।