वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश में प्रकृति प्रतिपल नया वेश ग्रहण करती दिखाई देती है। इस ऋतु में प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन आते हैं –
a. बादलों की ओट में छिपे पर्वत मानों पंख लगाकर कहीं उड़ गए हों तथा तालाबों में से उठता हुआ कोहरा धुएँ की भाँति प्रतीत होता है।
b. पर्वतों से बहते हुए झरने मोतियों की लड़ियों से प्रतीत होते है।
c. पर्वत पर असंख्य फूल खिल जाते हैं।
d. ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर एकटक देखते हैं।
e. बादलों के छा जाने से पर्वत अदृश्य हो जाता है।
f. ताल से उठते हुए धुएँ को देखकर लगता है, मानो आग लग गई हो।
g. आकाश में तेजी से इधर-उधर घूमते हुए बादल, अत्यंत आकर्षक लगते हैं।