कभी ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी। भारत ने उसका स्वागत ही किया था, लेकिन करते-कराते वह हमारी शासक बन बैठी। उसने कुछ बाग बनवाए तो कुछ तोपें भी तैयार कीं। 1855 में उसका प्रयोग शक्तिशाली हथियार के रुप में किया गया था। उन तोपों ने इस देश को फिर से आजाद कराने का सपना साकार करने निकले जाँबाजो को मौत के घाट उतारा। पर एक दिन ऐसा भी आया जब हमारे पूर्वजों ने उस सत्ता को उखाड फेंका। तोप को निस्तेज कर दिया। आखिरकार अब इस तोप को मुँह बन्द करना पड़ा। अब इससे कोई नहीं डरता। अब यह केवल खिलौना मात्र है। चिड़िया इस पर अपना घोंसला बना रही है, उसमें बच्चे खेलते हैं। यह तोप हमें बताती है कि कोई कितना शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है।