लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव वह होता हैजिसेअपनेसमक्ष होतेहुए देखतेहैपरन्तु अनुभूजत संवेदना और कल्पना के सहारेउस सत्य को आत्मसात कर लेतेहैजिसके पररणाम स्वरूप सामनेन होनेवाली घटनायेभी आँखोंके सामनेज्वलंत प्रकाश बन िाती हैजिसेजलखकर ही अपनी जववशता सेस्वतंत्रता पायी िा सकती है। उसकी अनुभूजत उसेजलखनेकेजलए प्रेणना देती हैव स्वयं सेपररजित होनेकेजलए भी जलखनेके जलए प्रेणना देती है। इसजलए लेखक ,लेखन के जलए अनुभूजत को अजिक महत्व देता है।