भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखक और उनकी प्रमुख रचनाएँ :
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बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन – प्रेमघन सर्वस्व
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बालमुकुंद गुप्त – देश प्रेम
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प्रतापनारायण मिश्र – प्रेम पुष्पावली, मन की लहर
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राधाचरण गोस्वामी – नवभक्तमाल
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राधाकृष्ण दास – देशदशा
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भारतेंदु हरिश्चंद्र – प्रेम मालिका, प्रेमसरोवर।
भारतेंदु युग (सन् 1850-1900 तक): िंदी निबंध को विकसित करने कां श्रेय भारतेंदु हरिश्चंद्र और उनके समकालीन लेखकों को है। इस युग में बालकृष्ण भट्ट, प्रतापनारायण मिश्र, बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ आदि प्रमुख थे। बालकृष्ण भट्ट ने विविध प्रकार के निबंध रचे। उनके निबंधों में ‘मेला-ठेला’, ‘ वकील’ (वर्णनात्मक), आँसू, सहानुभूति ( भावनात्मक), खटका, इंगलिश पढ़ें तो बाबू होय (हास्य-व्यंग्य) प्रसिद्ध हैं। भारतेंदु जी ने अनेक विषयों पर निबंध रचे; जैसे-कश्मीर कुसुम, कालचक्र, वैद्यनाथ धाम, हरिद्वार, कंकण स्तोत्र आदि। बालमुकुंद गुप्त ने ‘शिवशंभू के चिट्टे’ में हास्य-व्यंग्य की छटा बिखेरी है। प्रताप नारायण मिश्र ने भौं, दाँत, नमक, आदि पर निबंध लिखे। इस युग के निबंधों की विशेषताएँ इस प्रकार थीं :
(क) निबंधों के विषय विविधमुखी थे।
(ख) इन निबंधों में व्याकरण संबंधी दोष पाए जाते हैं।
(ग) इन निबंधों की भाषा में देशज एवं स्थानीय शब्दों का प्रयोग हुआ है।
(घ) इस युग के लेखन में देश-भक्ति, समाज सुधार की भावना है।
(ङ) इस युग में नवीन विचारों का स्वागत किया गया है।