प्रकृति में परिवर्तन निरंतर होता रहता है। जब तेज़ बौछारें अर्थात् बरसात का मौसम चला गया, भादों के महीने की गरमी भी चली गई। इसके बाद आश्विन का महीना शुरू हो जाता है। इस महीने में प्रकृति में अनेक परिर्वन आते हैं –
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सुबह के सूरज की लालिमा बढ़ जाती है। सुबह के सूरज की लाली खरगोश की आँखों जैसी दिखती है।
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शरद ऋतु का आगमन हो जाता है। गरमी समाप्त हो जाती है।
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प्रकृति खिली-खिली दिखाई देती है।
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आसमान नीला व साफ़ दिखाई देता है।
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फूलों पर तितलियाँ मँडराती दिखाई देती हैं।
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सभी लोग खुले मौसम में आनंदित हो रहे हैं।