संध्या के समय सूर्य की किरणें लाल रंग की हो जाती हैं। ये किरणें जब पीपल के पत्तों से होकर गुजरती हैं तो ऐसा लगता है जैसे पीपल के पत्ते ताँबे के रंग के हो गए हो। जब संध्या के समय पेड़ के पत्ते झरते है तो वह किसी झरने के समान शोभा देते हैं। संध्या के समय सूर्य के ढलने की गति इतनी तेज हो जाती है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि सूर्य पृथ्वी के भीतर ही समा गया हो। सूर्य के ढल जाने के बाद गंगा नदी का जल चितकबरा लगने लगता है।