जिस प्रकार मनुष्य को मनुष्य कहने के लिए ‘ मानवता’ नामक गुण का होना अनिवर्य हैं, उसी तरह गीत में ‘ गानपन’ का होना अति आवश्यक हैं तभी इसे संगीत कहा जाता है। ‘ गानपन’ का मतलब है- गायन में कितनी मिठास और मस्ती है। लता जी के गीतों में मस्ती और मिठास शत-प्रतिशत भरी हुई है और यही उनकी लोकप्रियता का कारण रहा है।
गीत में गानपर लाने के लिए तेज आवाज के साथ गीत का अभ्यास करना भी आवश्यक है। शब्दों के उचित उच्चारण के साथ, उसकी आवाज में स्पष्टता होनी भी अति आवश्यक है। गाने में रस के अनुसार लय और ताल होना आवश्यक है। श्रोताओं को गाने का स्वर और अर्थ स्पष्ट रूप से समझ आना चाहिए। रागों की सुंदरता और शुद्धता पर जोर देने के बजाय गीत को मिठास, स्वाभाविकता और सही लय के साथ गाया जाना चाहिए।