पाठ में, भारतेंदु जी ने कहा है कि, भारत के लोग बड़े आलसी प्रवृति वाले हो गए हैं। हर भारतीय को आलस्य ने अपने वश में कर लिया है। यही कारण है कि, भारत के लोग परिश्रम करने से भागते रहते हैं, जिसकी वजह से देश में निरंतर बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है। यह देखते हुए ही उन्होंने कहा है कि, दुर्भाग्यपूर्ण आलसी देश में, जो कुछ हो जाए, वही बहुत कुछ है। मनुष्य और देश के विकास के लिए हमें अपने भीतर व्याप्त आलस्य को दूर करना होगा। हर भारतीयों को अपनी आलस्य रूपी बीमारी से छुटकारा पाना होगा, तभी देश की प्रगति होगी।