कवि भवानी प्रसाद मिश्र अपने घर से बहुत दूर जेल में बन्द हैं।अपने घर और प्रियजनों से दूर रहने का दर्द उनके भीतर है।एक दिन जब बदल बरसने लगते हैं, तब कवि का मन यादो से घिर जाता है।गिरती हुई पानी की बूंदों के साथ कवि कि आंखों के सामने घर कि यादे एक चलचित्र की तरह प्रदर्शित हो रही थी।बारिश के कारण कवि अपने घर की यादों में व्याकुल हो जाते हैं।