लेखक ने टॉर्च बेचने वाली कंपनी का नाम 'सूरज छाप’ इसलिए रखा क्योंकि जिस तरह सूरज रात के अंधेरे के बाद दिन में प्रकाश कहलाता है और किसी को डर नहीं लगता उसी प्रकार ' सूरज छाप'रात के अंधेरे में सूरज का काम करेगी और ‘सूरज छाप’ टॉर्च रात के अंधेरे में सूरज की रोशनी का प्रतीक है।